मूल्य विभेद
जब एकाधिकारी एक ही वस्तु का विभिन्न व्यक्तियों अथवा विभिन्न स्थानों में अलग-अलग व्यक्तियों से अलग अलग मूल्य वसूला करता है तो ऐसी स्थिति को मूल्य विभेद कहा जाता है
विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने कीमत विभेद की परिभाषा दी है
प्रोफेसर टॉमस - के मतानुसार एकाधिकार नीति की यह विशेषता है की वह ही वस्तु या सेवा के पूर्ति के विभिन्न भागों के लिए उपभोक्ता से विभिन्न कीमत ली जाती है इस प्रकार का कीमत विभेद विभिन्न व्यक्तियों विभिन्न व्यापार अथवा एक ही समान के विभिन्न क्षेत्रों या विभिन्न समाजों के संबंध में किया जा सकता है
मूल्य विभेद कब संभव है
मूल्य विभेद केवल एकाधिकार में ही संभव होता है क्योंकि इसके अंतर्गत एक ही विक्रेता होता है और उसका पूर्ति पर पूर्ण यंत्र होता है पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य विभेद संभव नहीं होता क्योंकि यदि एक विक्रेता वस्तु की ऊंची कीमत वसूल करना चाहता है तो उपभोक्ता दूसरे विक्रेता के पास चला जाएगा जो उस वस्तु की नीची कीमत वसूल करता है
विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने कीमत विभेद की परिभाषा दी है
प्रोफेसर टॉमस - के मतानुसार एकाधिकार नीति की यह विशेषता है की वह ही वस्तु या सेवा के पूर्ति के विभिन्न भागों के लिए उपभोक्ता से विभिन्न कीमत ली जाती है इस प्रकार का कीमत विभेद विभिन्न व्यक्तियों विभिन्न व्यापार अथवा एक ही समान के विभिन्न क्षेत्रों या विभिन्न समाजों के संबंध में किया जा सकता है
मूल्य विभेद कब संभव है
मूल्य विभेद केवल एकाधिकार में ही संभव होता है क्योंकि इसके अंतर्गत एक ही विक्रेता होता है और उसका पूर्ति पर पूर्ण यंत्र होता है पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य विभेद संभव नहीं होता क्योंकि यदि एक विक्रेता वस्तु की ऊंची कीमत वसूल करना चाहता है तो उपभोक्ता दूसरे विक्रेता के पास चला जाएगा जो उस वस्तु की नीची कीमत वसूल करता है
Nice
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