जेबी से का नियमSay s law
जे बी से का बाजार नियम रोजगार सिद्धांत का आधार है 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में फ्रांसीसी अर्थशास्त्री जे बी से नेम यह धारणा व्यक्त की पूर्ति स्वयं अपनी मांग पैदा करती है supply creates its own demand जिसके कारण अर्थव्यवस्था में अत्यधिक उत्पादन और बेरोजगारी की समस्या पैदा हो नहीं होती यदि किसी कारण अत्यधिक उत्पादन के कारण श्रमिकों को हटा दिया जाता है और अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो यह अल्पकालीन स्थिति है दीर्घकाल में वस्तुओं की मांग और पूर्ति एक दूसरे के समान हो जाते हैं
से के शब्दों में उत्पादन ही वस्तुओं के लिए मार्केट पैदा करता है यूं ही किसी वस्तु का उत्पादन होता है त्यो ही उसी क्षण से वह अपने मूल्य की पूरी मात्रा में अन्य वस्तुओं के लिए मार्केट पैदा करता है दूसरी वस्तु की पूर्ति जितनी एक वस्तु की मांग के अनुकूल होती है उतना कुछ और नहीं
उत्पादन ही वस्तुओं की मार्केट( मांग )-- उत्पादक वस्तुएं उत्पादित करता है वह साधनों पर व्यय करता है और परिणाम स्वरूप उपभोग प्रक्रिया वस्तुओं के लिए मांग पैदा करती है इस तरह वस्तुओं की पूर्ति के साथ मांग भी बढ़ती रहती है उदाहरण से समझते हैं जब कोई उत्पादक अपने किसी वस्तु का उत्पादन करता है तो वह उस उत्पादन करने के लिए श्रमिकों को काम में रखता है श्रमिकों के काम के बदले परिश्रमिक देता है जबकि श्रमिक अपने जीवन निर्वाह के लिए यही वस्तु है बाजार से खरीदते हैं इस प्रकार पूर्ति अपनी मांग पैदा करती है
वस्तु विनिमय का आधार-- अपने मूल्य में यह नियम वस्तु विनिमय अर्थव्यवस्था पर लागू होता है उत्पादक जो वस्तुएं मार्केट में लाता है वह इसे अन्य वस्तुओं से विनिमय के लिए लाता है से कि यह धारणा थी कि लोगों का उत्पादन करने का एकमात्र उद्देश्य अपने उपभोग स्तर को कायम रखना था अर्थव्यवस्था में जो वस्तुएं उत्पादित होती थी उनमें मांग अंतर्निहित रहती थी यह माना जाता है कि मुद्रा द्वारा वस्तु विनिमय प्रणाली से अधिक कार्यशील है जब कोई वस्तु उत्पादित की जाती है तो इसके उत्पादन में योगदान देने वाले व्यक्तियों को आय दी जाती है
बचत निवेश समानता-- विनिमय अर्थव्यवस्था में से के बाजार नियम का अर्थ है कि पूर्ण रोजगार को स्थापित करने के लिए आय अपने आप इस दर से व्यय की जाती है जिससे साधनों को काम पर लगाया जा सके लोग अपनी आय को उपभोग पर खर्च करते हैं परंतु समाज में कुछ लोग अपनी आय मैं से बचाते हैं लेकिन यह रोजगार की स्थिति में रुकावट नहीं उत्पादक वस्तुओं में निवेश करना बचत है क्योंकि यह आय प्रजनन में बाधा नहीं और इसलिए पूर्ति स्वयं अपनी मांग पैदा करती है
ब्याज दर निर्धारक तत्व -- से ने समाज में बचत और निवेश मैं समानता स्थापित करने के लिए ब्याज की दर को निर्धारक तत्व माना है यह माना जाता है कि जब उत्पादक उत्पादन प्रक्रिया मैं प्रयोग होने वाले विभिन्न साधनों जैसे भूमि श्रम पूजी को उपलब्ध कराता है तो वे आवश्यक आय पैदा करते हैं जो साधन स्वामियों को लगान मजदूरी तथा ब्याज के रूप में प्राप्त होती हैं यही आवश्यक आय उत्पादित वस्तुओं के लिए मांग पैदा करती हैं इस प्रकार पूर्ति स्वयं अपनी मांग पैदा करती है
Gud
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