आय तथा व्यय का चक्रीय प्रभाव the circular flow of income and expenditure
आय तथा व्यय के चक्रीय प्रभाव वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय तथा व्यय चक्रीय रूप में समय के साथ निरंतर प्रवाहित होते रहते हैं राष्ट्रीय आय तथा व्यय के विविध संघटको को जैसे बचत निवेश कराधान सरकारी व्यय निर्यात आयात इत्यादि को दिखाया जाता है
हम शुरू में ऐसी कल्पित साधारण अर्थव्यवस्था लेते हैं जिसमें की दो ही क्षेत्र हैं 1 घरेलू क्षेत्र दूसरा व्यवसाय क्षेत्र घरेलू क्षेत्र सभी उत्पादन के साधनों अर्थात भूमि श्रम तथा पूजी का स्वामी है यह क्षेत्र इन साधनों की सेवाएं व्यवसाय क्षेत्र को बेच कर अपनी आय प्राप्त करता है व्यवसाय क्षेत्र में हुए उत्पादक हैं जो वस्तुओं का उत्पादन करते हैं और उन्हें घरेलू क्षेत्र अथवा उपभोक्ताओं में बेचते हैं इस प्रकार व्यवसाय क्षेत्र की उत्पादित वस्तुओं को घरेलू क्षेत्र खरीदना है इस प्रकार की अर्थव्यवस्था मैं आय तथा व्यय का चक्रीय प्रभाव कहते हैं
हम शुरू में ऐसी कल्पित साधारण अर्थव्यवस्था लेते हैं जिसमें की दो ही क्षेत्र हैं 1 घरेलू क्षेत्र दूसरा व्यवसाय क्षेत्र घरेलू क्षेत्र सभी उत्पादन के साधनों अर्थात भूमि श्रम तथा पूजी का स्वामी है यह क्षेत्र इन साधनों की सेवाएं व्यवसाय क्षेत्र को बेच कर अपनी आय प्राप्त करता है व्यवसाय क्षेत्र में हुए उत्पादक हैं जो वस्तुओं का उत्पादन करते हैं और उन्हें घरेलू क्षेत्र अथवा उपभोक्ताओं में बेचते हैं इस प्रकार व्यवसाय क्षेत्र की उत्पादित वस्तुओं को घरेलू क्षेत्र खरीदना है इस प्रकार की अर्थव्यवस्था मैं आय तथा व्यय का चक्रीय प्रभाव कहते हैं
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