ह्रासमान सीमांत उत्पाद नियम तथा परिवर्तित अनुपात नियम
ह्रासमान सीमांत उत्पाद नियम यह कहता है कि अगर हम किसी आगत के प्रयोग में वृद्धि करते हैं जब अन्य आगत स्थिर हो तो एक समय के बाद ऐसी स्थिति आएगी कि प्राप्त होने वाला अतिरिक्त आगत जैसे आगत का सीमांत उत्पाद मैं गिरावट आने लगेगी कुछ हद तक ह्रासमान सीमांत उत्पाद नियम की संकल्पना परिवर्तित अनुपातों के नियम से संबंधित है यह कहता है कि सीमांत उत्पाद का कारक प्रारंभ में प्रयोग के साथ बढ़ता स्तर है जब आगत के प्रयोग का स्तर निम्न हो परंतु प्रयोग के एक नियत स्तर पर पहुंचने के उपरांत इसमें गिरावट आनी आरंभ हो जाती है
हम एक कारक आगत को स्थिर रखते हैं तथा दूसरे में निरंतर वृद्धि करते हैं तो कारक अनुपातों में परिवर्तन आ जाता है प्रारंभ में जैसे-जैसे हम परिवर्तित आगत की मात्रा में वृद्धि करते हैं कारक अनुपात उत्पादन के लिए अधिकाधिक उपयुक्त होता जाता है तथा सीमांत उत्पाद में वृद्धि हो जाती है परंतु प्रयोग करता के एक विशेष स्तर के पश्चात उत्पादन प्रक्रम परिवर्तित आगम के साथ अत्यंत अस्त-व्यस्त हो जाता है तथा कारक अनुपात उत्पादन प्रक्रम परिवर्तित आगत के साथ अत्यंत अस्त-व्यस्त हो जाता है तथा कारक अनुपात उत्पादन के लिए अनुपयुक्त हो जाते हैं इस बिंदु से ही परिवर्ती आगत के सीमांत उत्पाद में गिरावट आने लगती है
हम एक कारक आगत को स्थिर रखते हैं तथा दूसरे में निरंतर वृद्धि करते हैं तो कारक अनुपातों में परिवर्तन आ जाता है प्रारंभ में जैसे-जैसे हम परिवर्तित आगत की मात्रा में वृद्धि करते हैं कारक अनुपात उत्पादन के लिए अधिकाधिक उपयुक्त होता जाता है तथा सीमांत उत्पाद में वृद्धि हो जाती है परंतु प्रयोग करता के एक विशेष स्तर के पश्चात उत्पादन प्रक्रम परिवर्तित आगम के साथ अत्यंत अस्त-व्यस्त हो जाता है तथा कारक अनुपात उत्पादन प्रक्रम परिवर्तित आगत के साथ अत्यंत अस्त-व्यस्त हो जाता है तथा कारक अनुपात उत्पादन के लिए अनुपयुक्त हो जाते हैं इस बिंदु से ही परिवर्ती आगत के सीमांत उत्पाद में गिरावट आने लगती है
Nice
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