उपभोग का सापेक्ष आय का सिद्धांतRelative income hypothesis of consumption

डूसेनबरी   ने उपभोक्ता के व्यवहार का एक ऐसा सिद्धांत प्रस्तुत किया है जो  उपभोक्ता के निर्धारक तत्वों के रूप में एक व्यक्ति  की निरपेक्ष आय के बजाय उसकी सापेक्ष आय पर अधिक जोर देता है किस के उपभोग सिद्धांत से एक व्यक्ति का उपभोग उसकी वर्तमान आय पर निर्भर नहीं करता बल्कि उसकी पहले प्राप्त की गई निश्चित आय पर निर्भर करता है  डूसेनबरी की सापेक्ष आय परिकल्पना यह व्यक्त करती है कि  दीर्घकाल में आय में वृद्धि के साथ समुदाय निरंतर अपनी आय का पूर्व अनुपात उपभोग करता रहेगा कम आय वाले व्यक्तियों की आय में वृद्धि के साथ उसी के अनुपात के रूप में उनकी बचत मैं बहुत अधिक वृद्धि नहीं होगी उनकी बचते आय के सभी अनुपात मैं नहीं बढ़ेगी जैसा कि उन व्यक्तियों द्वारा की जा रही थी जिनकी आय में वर्तमान वृद्धि के पहले वही अधिक आय भी है कारण यह है कि सभी व्यक्तियों की आय में समान अनुपात में वृद्धि होने पर व्यक्तियों की सापेक्ष आय परिवर्तन नहीं होगी इसीलिए वे अपनी आय का पूर्वानुमान अनुपात ही उपभोग करेंगे

Comments

Post a Comment