व्यापार चक्र के मॉडल Model of trade cycle

व्यापार चक्र के 3 आधुनिक महत्वपूर्ण मॉडलों के नाम है सैम्युल्सन  मॉडल हिक्स मॉडल कालडर मॉडल हम आपको एक एक करके सारे मॉडलों के बारे में बताएंगे अगर आपको कहीं पर कोई परेशानी हो कहीं पर समझ में ना आए तो आप मुझे कमेंट करके बता सकते हैं मैं आपको जरूर सरल शब्दों में समझाने का प्रयास करूंगी
सैम्युल्सन का व्यापार चक्र सिद्धांत - इस व्यापार चक्र के अनुसार गुणक तथा त्वरक इकट्ठे मिलकर चक्रीय उतार-चढ़ाव उत्पन्न करते हैं सैम्युल्सन इस बात पर बल देते हैं की अर्थव्यवस्था की आर्थिक क्रियाओं के विश्लेषण मैं गुणक तथा त्वरक दर्द भरा के प्रभाव को अलग नहीं किया जा सकता त्वरक का जितना ही अधिक होगा विस्फोट आत्मक चक्र की संभावना भी उतनी ही अधिक होगी गुणक का मूल्य जितना ही अधिक होगा चक्र हीन पथ की संभावना उतनी ही अधिक होगी
सैमुअल्सन ने आय स्तर एवं विनियोग स्तर के दो विशेष संबंध पाए जाते हैं
1- आय स्तर विनियोग स्तर पर निर्भर है जबकि
2- विनियोग स्तर आय इस तरह में परिवर्तन की दर पर निर्भर होता है
   
            सैम्युल्सन के मॉडल के अनुसार 
1- वर्तमान समय की आय राष्ट्रीय आय उपभोग व्यय प्रेरित विनियोग व्यय तथा सरकारी व्यय का परिणाम है
                 Yt=ct+It+Gt

हिक्स व्यापार चक्र का सिद्धांत - वर्ष 1950 में प्रकाशित प्रोफेसर जेआर हिक्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक A  contribution  to the theory of trade cycle मैं व्यापार चक्र के सिद्धांत की व्याख्या की गुणक तथा त्वरक परस्पर क्रिया के नियम के आधार पर अपना व्यापार चक्रों का सिद्धांत निर्मित किया है गुणक तथा त्वरण की अंत क्रिया द्वारा व्यापार चक्र की उच्चतम सीमाओं एवं निम्नतम सीमा की व्यवस्था की जिन के मध्य व्यापार चक्ररी रूप प्राप्त करता है हिक्स के व्यापार चक्र मॉडल के तत्व है वृद्धि की अभीष्ट दर उपभोग फलन स्वायत्त निवेश प्रेरित निवेश फलन तथा गुणांक त्वरक संबंध
काल्डर का व्यापार चक्र सिद्धांत- काल्डर के अनुसार व्यापार चक्र तभी संभव है जब बचत और निवेश अरेखीय हो व्यापार चक्र दबाव का प्रभाव है जो अर्थव्यवस्था की नियोजित बचत और निवेश की समानता की ओर ले जाता है
अर्थव्यवस्था की तेजी अपने आप ही निश्चित रूप में समाप्त हो जाएगी परंतु मंदी स्थैतिज स्थिति में पड़ सकती है वहीं रह सकती है जब तक कि बाह्रा परिवर्तन जैसे नई मार्केट का खुलना उसके बचाव में नहीं आते मॉडल में चक्र समान लंबाई और अवधि के आवश्यक तौर से नहीं होते हैं और ना ही प्रसार और संकुचन आवश्यक तौर से समरूप होते हैं


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