निवेश या विनियोग फलन The investment function
कींस का निवेश सिद्धांत- निवेश की प्रेरणा लाभ की प्रत्याशी दर तथा ब्याज की दर पर निर्भर करती है निवेश को लाभकारी सिद्ध होना है तो उससे लाभ की प्रत्याशी दर कम से कम ब्याज की दर के बराबर होनी चाहिए यदि लाभ की प्रत्याशी दर कम से कम ब्याज की दर के बराबर होनी चाहिए यदि लाभ की प्रत्याशी दर ब्याज दर से अधिक है तो निवेश किया जाएगा यदि व्यवसायी निवेश के लिए अपनी मुद्रा को प्रयोग नहीं करता बल्कि इसके लिए वह दूसरों से उधार पर प्राप्त करता है तो इस दशा में तो और भी स्पष्ट है कि किसी पूजी पदार्थ अर्थात मशीनरी फैक्ट्री आदि में रुपए के निवेश से अप्रत्याशित लाभ की दर आवश्यक की ब्याज दर से ऊंची होनी चाहिए नहीं तो उधमकता के लिए निवेश करना हानिकारक होगा हम यह देखते हैं कि निवेश की प्रेरणा दो तत्व लाभ की प्रत्याशी दर द्वारा निर्धारित होती है कीन्स ने पूंजी की एक अतिरिक्त इकाई से प्रत्याशित लाभ की दर को पूंजी की सीमांत उत्पादकता की संज्ञा दी है आता हो कींस के अनुसार निवेश पूंजी की सीमांत उत्पादकता तथा ब्याज की दर के माध्यम से निर्धारित होता है
किसी भी प्रकार की पूंजी में निवेश कब तक किया जाएगा जब तक उसमें निवेश करने से लाभ की प्रत्याशित दर अर्थात पूंजी की सीमांत उत्पादकता ब्याज दर के समान नहीं हो जाती उधम करता का संतुलन तब होता है जबकि वह इतनी मात्रा में किसी दिशा में निवेश करता है जिससे लाभ की प्रत्याशी दर अर्थात पूंजी की सीमांत उत्पादकता घटकर ब्याज की दर के समान हो जाती है निवेश का यह सिद्धांत भी उधम कर्ताओं द्वारा अपने निवेश से प्राप्त अथवा लाभ को अधिकतम करने की पूर्वानुमान पर आधारित है
किसी भी प्रकार की पूंजी में निवेश कब तक किया जाएगा जब तक उसमें निवेश करने से लाभ की प्रत्याशित दर अर्थात पूंजी की सीमांत उत्पादकता ब्याज दर के समान नहीं हो जाती उधम करता का संतुलन तब होता है जबकि वह इतनी मात्रा में किसी दिशा में निवेश करता है जिससे लाभ की प्रत्याशी दर अर्थात पूंजी की सीमांत उत्पादकता घटकर ब्याज की दर के समान हो जाती है निवेश का यह सिद्धांत भी उधम कर्ताओं द्वारा अपने निवेश से प्राप्त अथवा लाभ को अधिकतम करने की पूर्वानुमान पर आधारित है
thanks mam
ReplyDeleteविनियोग फलन को प्रभावित करने वाले तत्व बताइए
ReplyDeleteNibesh maang falan Kya h
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