त्वरक की अवधारणा और महागुणक The concept of acceleration and super -multiplier

त्वरक सिद्धांत- त्वरक सिद्धांत इस तथ्य पर आधारित है कि पूंजीगत वस्तुओं की मांग से व्यत्पन्न होती है जिन के उत्पादन में वह सहायक होती है त्वरक   सिद्धांत उस प्रक्रिया को स्पष्ट करता है जिसके द्वारा उपभोग वस्तुओं की मांग में वृद्धि से पूंजीगत वस्तुओं के निवेश में वृद्धि होती है

इस सिद्धांत के अनुसार जब देश की आय में वृद्धि होती है तो निवेश को बढ़ाना होता है अर्थात निवल निवेश आय अथवा उत्पादन में वृद्धि के फल स्वरूप बढ़ता है दूसरे शब्दों में निवल निवेश आय अथवा उत्पादन में  वृद्धि का फलन है


निवेश के त्वरण सिद्धांत के अनुसार आय के बढ़ने पर निवेश में कई गुना अधिक वृद्धि होती है आय के बढ़ने के फल स्वरूप निवेश में कितना गुना अधिक वृद्धि होती है उसे  त्वरक कहते है

महा गुणक त्वरक परस्पर क्रिया-- हिक्स ने आय पर प्रारंभिक निवेश का कुल प्रभाव मापने के लिए गुणक तथा त्वरक  गणितीय विधि से मिला दिया है और उसे अतिगुणक का नाम दिया है गुणक और त्वरक का इकटठा प्रभाव  लीवर प्रभाव भी कहलाता है जो अर्थव्यवस्था को आय प्रजनन के बहुत ऊंचे या नीचे स्तर पर ले जा सकता है

त्वरक की मान्यताए  १ --इच्छित पूजी स्टॉक और वास्तविक पूजी स्टॉक में कोई अन्तर नहीं पाया जाता है
२ --उत्पादन में वृद्धि से शुद्ध निवेश में शीघ्र ही वृद्धि हो जाती है
३--यह भी मान्यता है पूंजी और साख की पूर्ति लोचदार है
४--बढी हुई मांग स्थायी होती है
५--प्लांटो में कोई अतिरिक्त या निष्क्रिय  नहीं पाई जाती है
६--यह माना जाता है संसाधन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं 
७--यह स्थिर पूंजी उत्पादन अनुपात मानता है

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