रोजगार गुणक

वर्ष 1931 में आरएफ कहान ने पहले पहल रोजगार गुणक की धारणा का प्रवर्तन किया रोजगार गुणक वह अनुपात है जो रोजगार में कुल वृद्धि तथा प्राथमिक रोजगार में कुल वृद्धि के बीच होता है रोजगार गुणक एक ऐसा गुणांक है जो सार्वजनिक निर्माण कार्यों पर प्राथमिक रोजगार की वृद्धि को कुल रोजगार प्राथमिक तथा द्वितीयक रोजगार मिलाकर की परिणामी वृद्धि से संबंध करता है मान लीजिए कि सार्वजनिक निर्माण कार्यों में  2.00.000 अतिरिक्त व्यक्ति नियुक्ति किए जाते हैं जिससे द्वितीय रोजगार में4.00.000 की विधि होती है कुल रोजगार6.00.000.(2.00.000. प्राथमिक  +4.00.000 द्वितीयक) बढ़ जाता है रोजगार गुणक होता है  =6.00.000./ 2.00.000 =3


  हेनसन के अनुसार-------- जैसा कि कींस का आय तथा रोजगार सिद्धांत बताता है तीनों ही आय रोजगार और उत्पादन इकट्ठे बढ़ने और घटने लगेंगे हैंडसन इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि व्यावहारिक दृष्टि से यदि मान लिया जाएगी रोजगार गुणक k 1 निवेश गुणक  k के बराबर है तो तथ्यों को कोई हानि नहीं पहुंचती पर यदि पूर्ण रोजगार की और उत्पादन बढ़ेगा तो घटते प्रतिफल के कारण श्रम का प्रतीक आए उत्पादन कम हो जाएगा ऐसी स्थिति में जब उत्पादन और रोजगार बढ़ाने में घोड़ा कार्य कर रहा है  तो k   से k 1 बड़ा होगा परंतु यदि  गुणांक विपरीत दिशा में कार्य कर रहा है तो  k सेk 1 छोटा होगा

सार्वजनिक निर्माण कार्यों से प्राथमिक तथा द्वितीयक रोजगार के बीच संबंध दिखाने के लिए रोजगार गुणांक उपयोगी है केंज ने इसे सड़क निर्माण के विश्लेषण के औजारों से आय निर्माण के विश्लेषण के औजार में बदल कर इसे वह कार्यभार सौंपा जो यह आज कर रहा है

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