लगान या अधिशेष(rent)
लगान शब्द का प्रयोग मुख्यतया भूमि के उपयोग के लिए दिए गए प्रतिफल के लिए किया जाता है जो भूमि का प्रयोग करने वाले व्यक्ति द्वारा भूस्वामी को दिया जाता है अर्थात दुकान मकान खान भूमि इत्यादि के प्रयोग के बदले जो मूल्य दिया जाता है उसे लगान कहा जाता है किंतु साधारण बोलचाल की भाषा में लगान का प्रयोग अन्य चीजों के लिए भी किया जाता है यथा मकान बनाने में लगी पूंजी पर ब्याज अर्थशास्त्र में लगान से अभिप्राय भूमि के प्रयोग से प्राप्त मूल्य से होता है
रिकार्डो का लगान सिद्धांत- रिकार्डो के लगान सिद्धांत को लगान का प्रतिष्ठित सिद्धांत भी कहा जाता है 19वीं शताब्दी मैं रिकार्डो ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तकprinciples of political Economy and taxation मैं लगान सिद्धांत का प्रतिपादन किया रिकार्डो के अनुसार लगान भूमि की उपज का वह भाग है जो मौलिक तथा अविनाशी शक्तियों के उपयोग के लिए भूस्वामी को दिया जाता है
1- भूमि की पूर्ति निश्चित होती है तथा भूमि का कोई वैकल्पिक प्रयोग नहीं होता है रिकार्डो की मान्यता अनुसार भूमि का प्रयोग केवल अनाज का उत्पादन करने के लिए ही किया जाता है भूमि की हस्तांतरण आय शून्य होती है
2- कृषि मैं घटते प्रतिफल का नियम क्रियान्वित होता है
3- भूमि की उर्वरता शक्ति मौलिक तथा अविनाशी है जो कभी नष्ट नहीं होती
4- विभिन्न भूखंडों की उर्वरता में अंतर होता है कुछ भूखंड सीमांत भूखंड होते हैं जिन पर उत्पादन का मूल्य केवल लागत को ही पूरा कर पाता है
5- भूमि पर खेती उसकी उपजाऊ शक्ति के क्रम में की जाती है अर्थात सर्वप्रथम सबसे अधिक उर्वरता वाली भूमि पर खेती की जाती है तथा उसका संपूर्ण प्रयोग होने पर ही उससे निम्न उर्वरता वाली भूमि को खेती के प्रयोग में लिया जाता है
6- वस्तु बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता है जिसके कारण संपूर्ण बाजार में अनाज की कीमत एक समान है
7- जनसंख्या वृद्धि होने पर अनाज की मांग बढ़ती है
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह देखना होगा कि लगान क्यों उत्पन्न होता है इसकी कितनी मात्रा होती है या होनी चाहिए
रिकार्डो ने इस संबंध में दो कारणों का उल्लेख किया है
1- यदि भूमि में एकरूपता हो परंतु मांग की तुलना में उसकी पूर्ति सीमित हो तो उसके कारण लगान उत्पन्न होगा इस प्रकार के लगान को दुर्लभता लगान कहते हैं
2- यदि भूमि के विविध टुकड़ों के गुणों में भिन्नता हो या उर्वरा शक्ति मैं मिलता हो या स्थिति भिन्न में हो या उत्तम कोटि की भूमि की पूर्ति उसकी मांग की तुलना में कम है तो गुण की भिन्नता तथा लाभ की पूर्ति की सीमितता के कारण उत्पन्न होगा उसे पूर्ति की सीमितता कहते हैं
दुर्लभता का लगान- रिकार्डो ने यह प्रतिपादित किया है कि यदि भूमि के अलग-अलग टुकड़ों में विविधता ना हो तो भी लगान उत्पन्न होता है इस प्रकार के लगान को शुद्ध लगान कहा गया है यदि पूर्ति सीमित हो और एक भूमि प्रयोग में नहीं लाई जा रही हो तब लगान का प्रश्न ही नहीं उठता है यदि भूमि की मांग बड़े अर्थात अप्रयुक्त भूमि ना रह जाए तो मांग में वृद्धि के कारण मूल्य बढ़ जाता है इस प्रकार औसत उत्पादन लागत अधिक हो जाती है.
रिकार्डो का लगान सिद्धांत- रिकार्डो के लगान सिद्धांत को लगान का प्रतिष्ठित सिद्धांत भी कहा जाता है 19वीं शताब्दी मैं रिकार्डो ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तकprinciples of political Economy and taxation मैं लगान सिद्धांत का प्रतिपादन किया रिकार्डो के अनुसार लगान भूमि की उपज का वह भाग है जो मौलिक तथा अविनाशी शक्तियों के उपयोग के लिए भूस्वामी को दिया जाता है
1- भूमि की पूर्ति निश्चित होती है तथा भूमि का कोई वैकल्पिक प्रयोग नहीं होता है रिकार्डो की मान्यता अनुसार भूमि का प्रयोग केवल अनाज का उत्पादन करने के लिए ही किया जाता है भूमि की हस्तांतरण आय शून्य होती है
2- कृषि मैं घटते प्रतिफल का नियम क्रियान्वित होता है
3- भूमि की उर्वरता शक्ति मौलिक तथा अविनाशी है जो कभी नष्ट नहीं होती
4- विभिन्न भूखंडों की उर्वरता में अंतर होता है कुछ भूखंड सीमांत भूखंड होते हैं जिन पर उत्पादन का मूल्य केवल लागत को ही पूरा कर पाता है
5- भूमि पर खेती उसकी उपजाऊ शक्ति के क्रम में की जाती है अर्थात सर्वप्रथम सबसे अधिक उर्वरता वाली भूमि पर खेती की जाती है तथा उसका संपूर्ण प्रयोग होने पर ही उससे निम्न उर्वरता वाली भूमि को खेती के प्रयोग में लिया जाता है
6- वस्तु बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता है जिसके कारण संपूर्ण बाजार में अनाज की कीमत एक समान है
7- जनसंख्या वृद्धि होने पर अनाज की मांग बढ़ती है
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह देखना होगा कि लगान क्यों उत्पन्न होता है इसकी कितनी मात्रा होती है या होनी चाहिए
रिकार्डो ने इस संबंध में दो कारणों का उल्लेख किया है
1- यदि भूमि में एकरूपता हो परंतु मांग की तुलना में उसकी पूर्ति सीमित हो तो उसके कारण लगान उत्पन्न होगा इस प्रकार के लगान को दुर्लभता लगान कहते हैं
2- यदि भूमि के विविध टुकड़ों के गुणों में भिन्नता हो या उर्वरा शक्ति मैं मिलता हो या स्थिति भिन्न में हो या उत्तम कोटि की भूमि की पूर्ति उसकी मांग की तुलना में कम है तो गुण की भिन्नता तथा लाभ की पूर्ति की सीमितता के कारण उत्पन्न होगा उसे पूर्ति की सीमितता कहते हैं
दुर्लभता का लगान- रिकार्डो ने यह प्रतिपादित किया है कि यदि भूमि के अलग-अलग टुकड़ों में विविधता ना हो तो भी लगान उत्पन्न होता है इस प्रकार के लगान को शुद्ध लगान कहा गया है यदि पूर्ति सीमित हो और एक भूमि प्रयोग में नहीं लाई जा रही हो तब लगान का प्रश्न ही नहीं उठता है यदि भूमि की मांग बड़े अर्थात अप्रयुक्त भूमि ना रह जाए तो मांग में वृद्धि के कारण मूल्य बढ़ जाता है इस प्रकार औसत उत्पादन लागत अधिक हो जाती है.
Thank you describing
ReplyDeletevery well
ReplyDeletenis
ReplyDeletegud di
ReplyDeletethanks
ReplyDeletegud
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