अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं
वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन विनिमय तथा उपभोग जीवन की आधारभूत आर्थिक गतिविधियों के अंतर्गत आते हैं प्रत्येक समाज को इन आधारभूत आर्थिक क्रियाकलापों के दौरान संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है तथा संसाधनों की यह कमी ही चयन की समस्या को जन्म देती है अर्थव्यवस्था में हिंदू लव संसाधनों के उपयोग के लिए प्रतिस्पर्धी विकल्प होते
अब प्रश्न उठता है कि अर्थव्यवस्था में किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में
प्रत्येक समाज को निर्णय करना पड़ता है की प्रत्येक संभावित वस्तुओं तथा सेवाओं में से किन किन वस्तुओं और सेवाओं का वह कितना उत्पादन करेगा अधिक खाद्य पदार्थों वस्तुओं या आवासों का निर्माण किया जाए अथवा विलासिता की वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाए कृषि जनित वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाए या औद्योगिक उत्पादों तथा सेवाओं का शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर अधिक संसाधनों का उपयोग किया जाए या सैन्य सेवाओं के गठन पर बुनियादी शिक्षा को बढ़ाने पर अधिक खर्च किया जाए या उच्च शिक्षा पर उपयोग की वस्तुएं अधिक मात्रा में उत्पादित की जाए या निवेश परक वस्तुएं मशीन आदि जिससे भविष्य में उत्पादन तथा उपभोग में वृद्धि होगी इस प्रकार की वस्तुएं कैसे उत्पादित की जाती हैं
इन वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जा- प्रत्येक समाज को निर्णय करना पड़ता है की विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं से उत्पादन करते समय किन किन वस्तु या सेवा में किस किस संसाधन की कितनी मात्रा का उपयोग किया जाए अधिक श्रम का उपयोग किया जाए अथवा मशीनों का प्रत्येक वस्तु के उत्पादन के लिए उपलब्ध तकनीकों में से किस तकनीक को अपनाया जाए
इन वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाए
अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं की कितनी मात्रा किसे प्राप्त होंगी अर्थव्यवस्था के उत्पाद को व्यक्ति विशेष के बीच किस प्रकार विभाजित किया जाना चाहिए किसको अधिक मात्रा प्राप्त होगी तथा किस को कम यह सुनिश्चित किया जाए अथवा नहीं की अर्थव्यवस्था की सभी व्यक्तियों को उपभोग की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध हो क्या प्रारंभिक शिक्षा तथा बुनियादी स्वास्थ्य सेवा जैसी सेवाएं अर्थव्यवस्था के सभी व्यक्तियों को निशुल्क उपलब्ध कराई जाए अतः प्रत्येक अर्थव्यवस्था को इस समस्या का सामना करना पड़ता है की विभिन्न संभावित वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए दुर्लभ संसाधनों का विनी धान कैसे किया जाए और उन व्यक्तियों के बीच जो अर्थव्यवस्था के अंग हैं उत्पादित वस्तुओं का था सेवाओं का वितरण किस प्रकार किया जाए सीमित संसाधनों का विनी धान तथा अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का वितरण ही किसी भी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं हैं
अब प्रश्न उठता है कि अर्थव्यवस्था में किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में
प्रत्येक समाज को निर्णय करना पड़ता है की प्रत्येक संभावित वस्तुओं तथा सेवाओं में से किन किन वस्तुओं और सेवाओं का वह कितना उत्पादन करेगा अधिक खाद्य पदार्थों वस्तुओं या आवासों का निर्माण किया जाए अथवा विलासिता की वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाए कृषि जनित वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाए या औद्योगिक उत्पादों तथा सेवाओं का शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर अधिक संसाधनों का उपयोग किया जाए या सैन्य सेवाओं के गठन पर बुनियादी शिक्षा को बढ़ाने पर अधिक खर्च किया जाए या उच्च शिक्षा पर उपयोग की वस्तुएं अधिक मात्रा में उत्पादित की जाए या निवेश परक वस्तुएं मशीन आदि जिससे भविष्य में उत्पादन तथा उपभोग में वृद्धि होगी इस प्रकार की वस्तुएं कैसे उत्पादित की जाती हैं
इन वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जा- प्रत्येक समाज को निर्णय करना पड़ता है की विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं से उत्पादन करते समय किन किन वस्तु या सेवा में किस किस संसाधन की कितनी मात्रा का उपयोग किया जाए अधिक श्रम का उपयोग किया जाए अथवा मशीनों का प्रत्येक वस्तु के उत्पादन के लिए उपलब्ध तकनीकों में से किस तकनीक को अपनाया जाए
इन वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाए
अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं की कितनी मात्रा किसे प्राप्त होंगी अर्थव्यवस्था के उत्पाद को व्यक्ति विशेष के बीच किस प्रकार विभाजित किया जाना चाहिए किसको अधिक मात्रा प्राप्त होगी तथा किस को कम यह सुनिश्चित किया जाए अथवा नहीं की अर्थव्यवस्था की सभी व्यक्तियों को उपभोग की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध हो क्या प्रारंभिक शिक्षा तथा बुनियादी स्वास्थ्य सेवा जैसी सेवाएं अर्थव्यवस्था के सभी व्यक्तियों को निशुल्क उपलब्ध कराई जाए अतः प्रत्येक अर्थव्यवस्था को इस समस्या का सामना करना पड़ता है की विभिन्न संभावित वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए दुर्लभ संसाधनों का विनी धान कैसे किया जाए और उन व्यक्तियों के बीच जो अर्थव्यवस्था के अंग हैं उत्पादित वस्तुओं का था सेवाओं का वितरण किस प्रकार किया जाए सीमित संसाधनों का विनी धान तथा अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का वितरण ही किसी भी अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं हैं
thank you man
ReplyDeleteउत्पादक संभावना वक्र नतोदर क्यो होता है class 11 economic question
ReplyDeleteउत्पादक संभावना वक्र नतोदर क्यो होता है class 11 economic question
ReplyDeleteजब एक अर्थव्यवस्था में संसाधनों में वृद्धि होती है तब उत्पादन संभावना वक्र अपने मूल रूप से समांतर होता है उदाहरण से आपको समझा देते हैं जैसे एक वस्तु के उत्पादन में वृद्धि की जाती है तो दूसरी वस्तु उत्पादन कम होता है जिसे सीमांत अवसर लागत बढ़ती जाती है इसी सीमांतअवसर लागत के बढ़ने के कारण उत्पादन संभावना वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर नतोदर होता है आशा करती हूं आपको समझ में आया हूं नहीं आया हो तो कमेंट में बताइएगा
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