शिक्षण एवं शोध अभियोग्यता अध्येता की विशेषताएं

शिक्षण कार्य में एक शिक्षार्थी अथवा शिक्षक की सफलता मात्र उसकी वैषयिक महारत पर ही आधारित नहीं होती हैं अपितु शिक्षा के प्रति उसकी विधि आत्मक अभिरुचि एवं अभिवृत्ति होनी चाहिए तभी शिक्षा उसके जीवन के लिए उपयोगी एवं मूल्यवान होती है तथा व्यक्ति शिक्षा को मानव मात्र के सर्वांगीण विकास का हेतु मानकर परिश्रम पूर्वक अध्ययन अध्यापन में लगा रहता है अन्यथा अभिरुचि के अभाव में वह अपने ज्ञान का सही अर्थों में उपयोग नहीं कर पाता है जैसे कि विद्यालयों महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों तक के विद्यार्थी एवं शिक्षकों में प्राय देखने को मिलता है शिक्षकों के चयन हेतु परीक्षाओं में शिक्षण अभिरुचि को अनिवार्य रूप मैं रखा जाता है इसके द्वारा यहां परीक्षण किया जाता है कि क्या वास्तव में अभ्यर्थी मन एवं मस्तिष्क से शिक्षा जगत से जुड़ना चाहता है क्या शिक्षा के प्रति इसकी सकारात्मक अभिवृत्ति है क्या इस के विचार शिक्षा जगत को सन्मुख बना सकेंगे क्या इसके सिद्धांतों एवं शिक्षा के मूलभूत सिद्धांतों में साम्य है क्या इसकी शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक हो सकेगी इत्यादि अनेक कसौटी पर कसने का प्रयास किया जाता है

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