मुद्रा तथा उसके कार्य
मुद्रा का udgam और विकास-  मुद्रा का आविष्कार किस समय और किन परिस्थितियों में हुआ जैसा विदित है आरंभ में वस्तु विनिमय प्रणाली ही कार्यशील थी अर्थात एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ  विनिमय में हुआ करता था परंतु कालांतर में वस्तु विनिमय प्रणाली से अनेक कठिनाइयां उत्पन्न होने  लगी और यह प्रणाली अत्यंत असुविधा जनक बन गयी! वस्तु विनिमय प्रणाली की इन असुविधा से बचने के लिए ही मुद्रा का आविष्कार किया गया मुद्रा के उद्गम के बारे में मुख्य तो दो सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं
1- मुद्रा का आकस्मिक जन्म सिद्धांत-  इस सिद्धांत के अनुसार मुद्रा की किसी व्यक्ति द्वारा खोज नहीं की गई बल्कि यह तो मानव को संयोगवश ही मिल गई प्रोफेसर स्पालिडग   उनके अनुसार  जैसे-जैसे विनिमय का प्रचलन बढ़ता गया वैसे वैसे लोगों ने किसी विनिमय के माध्यम का प्रयोग करना आरंभ कर दिया इस प्रकार किसी एक वस्तु  को मुद्रा मान लिया गया और उसी माध्यम से विनिमय कार्य संपन्न होने लगा
2-  मुद्रा का आवश्यकता अनुसंधान सिद्धांत-  इस सिद्धांत के अनुसार मुद्रा का आविष्कार वस्तु विनिमय की कठिनाइयों एवं सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए मानव द्वारा स्वयं किया गया था मुद्रा को अस्तित्व में लाने के लिए मनुष्य द्वारा सचेत प्रथम किया गया था जैसे विद्युत है वस्तु विनिमय के अंतर्गत मुख्य कठिनाइयां वस्तुओं का मूल्य आंकने की थी अर्थात इसी प्रणाली के अंतर्गत वस्तुओं का मूल्य आंकने के लिए किसी एक सामूहिक मापक का अभाव था किसी कठिनाई को दूर करने के लिए  मुद्रा का आविष्कार किया गया

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