यूजीसी नेट अर्थशास्त्र सम सीमांत उपयोगिता नियम

सम सीमांत उपयोगिता  ह्रास नियम से ही निकला है इसे गोसेन का दूसरा नियम भी कहते हैं क्योंकि 19वी शताब्दी में ऑस्ट्रेलिया के एक अर्थशास्त्री एच एच गोसेन ने सर्वप्रथम इसका प्रतिपादन किया था किसी वस्तु को उसके विभिन्न उपयोगों में वितरित करते समय उपभोक्ता अधिकतम संतुष्टि तभी प्राप्त कर सकता है जब विभिन्न उपयोगों मैं वस्तु की सीमांत उपयोगिता समान होती है विभिन्न उपयोगों में सीमांत उपयोगिता समानीकरण से ही कुल संतुष्टि को अधिकतम बना सकता है
यदि किसी व्यक्ति के पास एक ऐसी वस्तु है जिसे वह बहुत से उपयोगों में लगा सकता है तब वह उस वस्तु को उन उपयोगों में इस ढंग से वितरित करेगा कि प्रत्येक उपयोग में उसकी सीमांत उपयोगिता बराबर ही रहे क्योंकि यदि इसकी सीमांत उपयोगिता एक उपयोग में दूसरे उपयोग की अपेक्षा अधिक है तब इसको दूसरे उपयोग से निकालकर पहले उपयोग में खिलाने से उसे लाभ होगा इस प्रकार किसी वस्तु को उसके विभिन्न उपयोगों में वितरित करते समय उपभोक्ता संतुष्टि तभी प्राप्त कर सकता है जब विभिन्न उपयोग में वस्तु की सीमांत उपयोगिता समान होती है
हर उपभोक्ता की आवश्यकताएं असीमित है परंतु किसी भी समय मैं उसकी आय सीमित होती है उपभोक्ता अपनी निश्चित आय को विभिन्न वस्तुओं की खरीदी में इस प्रकार लगाएगा की उसे अधिकतम संतुष्टि प्राप्त हो सके इसके लिए वह जिन वस्तुओं को खरीदना चाहता है उन सबके सीमांत उपयोगिता की और प्रत्येक वस्तु की सीमांत उपयोगिता की उस वस्तु की कीमत से भी तुलना करेगा मान लीजिए कि दोनों वस्तुएं की कीमत उपभोक्ता के लिए निश्चित है इस दशा में सीमांत उपयोगिता नियम यह बताता है की उपभोक्ता अपनी  मौद्रिक आय को विभिन्न वस्तुओं में इस प्रकार वितरित करेगा कि प्रत्येक वस्तु पर व्यय किए गए अंतिम रुपए से प्राप्त उपयोगिता समान हो किसी वस्तु पर किए गए मौद्रिक व्यय से प्राप्त सीमांत उपयोगिता को उस वस्तु की एक इकाई से प्राप्त उपयोगिता में उस वस्तु की कीमत से भाग देकर किया जा सकता हैयूजीसी नेट इकोनॉमिक्स

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