अर्थशास्त्र उपयोगिता
किसी वस्तु की मांग उस वस्तु में छिपी उपयोगिता के कारण ही उत्पन्न होती है |उपयोगिता से हमारा अभिप्राय किसी वस्तु एवं सेवा की किसी मानवीय आवश्यकता को संतुष्ट करने की शक्ति से है| उपयोगिता की धारणा वास्तव में एक आत्मनिष्ठ अथवा अंत दर्शी धारणा है अर्थात यह व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं से संबंधित है इसका कोई रुप नहीं होता और ना ही यह किसी भौतिक वस्तु में निहित होती है बल्की उपयोगिता तो वास्तव में वस्तु के लिए उपभोक्ता की मानसिक संरचना पर निर्भर करती है
उपयोगिता और संतुष्टि- उपयोगिता और संतुष्टि में अंतर होता है जहां उपयोगिता से हमारा अभिप्राय प्रत्याशित उपयोगिता से है वही संतुष्टि से हमारा अभिप्राय प्राप्त उपयोगिता से होता है इस प्रकार उपभोक्ता उपयोगिता के बारे में उस समय विचार करता है जब वहां किसी वस्तु को खरीदने की सोच रहा होता है लेकिन संतुष्टि को वह उस समय अनुभव करता है जब वह वस्तु का उपभोग कर चुका होता है अंततः उपयोगिता को मापा जा सकता है यद्यपि यह मापन अप्रत्यक्ष ही होता है लेकिन संतुष्टि को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रुप में नहीं मापा जा सकता
उपयोगिता और संतुष्टि- उपयोगिता और संतुष्टि में अंतर होता है जहां उपयोगिता से हमारा अभिप्राय प्रत्याशित उपयोगिता से है वही संतुष्टि से हमारा अभिप्राय प्राप्त उपयोगिता से होता है इस प्रकार उपभोक्ता उपयोगिता के बारे में उस समय विचार करता है जब वहां किसी वस्तु को खरीदने की सोच रहा होता है लेकिन संतुष्टि को वह उस समय अनुभव करता है जब वह वस्तु का उपभोग कर चुका होता है अंततः उपयोगिता को मापा जा सकता है यद्यपि यह मापन अप्रत्यक्ष ही होता है लेकिन संतुष्टि को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रुप में नहीं मापा जा सकता
Bahut achi knowledge Di aapne mam thank you
ReplyDeleteDidi Kya baat phle mujhe ye samajh nhi aata tha pr ab aa gya
ReplyDeleteVery well
ReplyDeletevery gud
ReplyDeletebahut achhe
ReplyDeletethanks
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