अर्थशास्त्र एडम स्मिथ का हीरक जल विरोधाभास
क्लासिकल अर्थशास्त्री कीमत और उपयोगिता के बीच पाए जाने वाले घनिष्ठ संबंध से परिचित नहीं थे बल्कि उनका निश्चय पूर्ण यह मानना था की कीमत और उपयोगिता के बीच कोई संबंध नहीं होता इस संदर्भ में एडम स्मिथ ने प्रसिद्ध हीरक जल विरोधाभास का प्रसिद्ध उदाहरण दिया था उनके अनुसार जल की ऊंची उपयोगिता होती है पर उसकी कीमत नहीं होती है या बहुत कम होती है इसके विपरीत हीरे की उपयोगिता तो कम होती है लेकिन उसकी कीमत बहुत ऊंची होती हैं
क्लासिकल अर्थशास्त्री इस विरोधाभास को सपष्ट करने में असमर्थ रहे हैं परंतु मार्शल के सीमांत उपयोगिता के कारण इसे हम आसानी से हल कर सकते हैं जल जीवन के लिए अति आवश्यक है जिससे उसकी कुल उपयोगिता अनंत होती है परंतु प्रकृति मैं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के कारण इसकी सीमांत उपयोगिता शून्य होती है यही कारण है कि जल की कीमत भी नगण्य होती है इसके विपरीत हीरे की कुल उपयोगिता बहुत कम होती हैं लेकिन प्रकृति में कम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण उसकी सीमांत उपयोगिता अधिक होती है जिससे उसकी कीमत भी ऊंची होती है इस प्रकार किसी वस्तु की कीमत का निर्धारण उसकी सीमांत उपयोगिता द्वारा होता है कुल उपयोगिता द्वारा नहीं
क्लासिकल अर्थशास्त्री इस विरोधाभास को सपष्ट करने में असमर्थ रहे हैं परंतु मार्शल के सीमांत उपयोगिता के कारण इसे हम आसानी से हल कर सकते हैं जल जीवन के लिए अति आवश्यक है जिससे उसकी कुल उपयोगिता अनंत होती है परंतु प्रकृति मैं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के कारण इसकी सीमांत उपयोगिता शून्य होती है यही कारण है कि जल की कीमत भी नगण्य होती है इसके विपरीत हीरे की कुल उपयोगिता बहुत कम होती हैं लेकिन प्रकृति में कम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण उसकी सीमांत उपयोगिता अधिक होती है जिससे उसकी कीमत भी ऊंची होती है इस प्रकार किसी वस्तु की कीमत का निर्धारण उसकी सीमांत उपयोगिता द्वारा होता है कुल उपयोगिता द्वारा नहीं
Very well described
ReplyDeleteNYC
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ReplyDeletewow Economics ki or
ReplyDeletegud di
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ReplyDeleteVery good
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ReplyDeletevrey nice
ReplyDeleteThank-you
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