संख्यात्मक उपयोगिता एवं क्रमवाचक उपयोगिता
संख्यात्मक उपयोगिता की धारणा के अनुसार दो वस्तुओं की उपयोगिता का मापन एवं उनकी तुलना करना संभव होता है उदाहरणस्व. किसी उपभोक्ता को सेब से उपयोगिता 20 इकाइयां और संतरे से उपयोगिता 10 इकाइयां प्राप्त होती हैं तो इससे स्पष्ट है कि संतरे की तुलना में सेब से उपभोक्ता को दोगुनी उपयोगिता प्राप्त होगी इसके विपरीत क्रमवाचक उपयोगिता की धारणा के अनुसार वस्तुओं के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता को नापा नहीं जा सकता ना ही उनकी तुलना की जा सकती है
इस प्रकार क्रमवाचक धारणा हमें यह बताती है कि उपभोक्ता संतरे की तुलना में सेब को वरीयता देता है लेकिन यह नहीं बताती है कि वह सेब को कितनी वरीयता देता है
प्रसिद्ध नव प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री डॉ. मार्शल ने उपयोगिता के संख्यावाचक दृष्टिकोण का समर्थन किया जबकि हिक्स एवं एलन जैसे आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने क्रमवाचक दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया
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