हिंदी भाषा का संक्षिप्त इतिहास
हिंदी बोलियां और उनके क्षेत्र
पश्चिमी हिंदी की 5 बोलियां हैं- खड़ी बोली या कौरवी ब्रजभाषा हरियाणवी बुंदेली और कन्नौजी
खड़ी बोली और कौरवी का उदभव शौरसेनी अपभ्रंश के उत्तरी रुप से हुआ है इसका क्षेत्र देहरादून का मैदानी भाग सहारनपुर मुजफ्फरनगर मेरठ दिल्ली का कुछ भाग बिजनौर रामपुर मुरादाबाद
ब्रजभाषा का विकास सर शौरसेनी अपभ्रंश के मध्यवर्ती रूप से हुआ है यह आगरा मथुरा अलीगढ़ मैनपुरी एटा बदायूं बरेली तथा आसपास मैं बोली जाती हैं
हरियाणवी का विकास उत्तरी शौरसेनी अपभ्रंश के पश्चिमी रूप से हुआ है इसका क्षेत्र हरियाणा तथा दिल्ली का देहाती भाग है
बुंदेली का विकास शौरसेनी में अपभ्रंश से हुआ है इसका क्षेत्र झांसी जालौन हमीरपुर ग्वालियर ओरछा सागर नरसिंहपुर सिवनी होशंगाबाद तथा आसपास का क्षेत्र है
कन्नौजी का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है इसका क्षेत्र इटावा फर्रुखाबाद शाहजहांपुर कानपुर हरदोई पीलीभीत है पूर्वी हिंदी की 3 बोलियां हैं- अवधि बघेली और छत्तीसगढ़ी
अवधि का उदभव अर्धमागधी अपभ्रंश से हुआ है इसका क्षेत्र लखनऊ इलाहाबाद फतेहपुर मिर्जापुर उन्नाव रायबरेली सीतापुर खीरी फैजाबाद गोंडा बस्ती बहराइच बाराबंकी सुल्तानपुर प्रतापगढ़ आदि हैं
बघेली का उदभव अर्धमागधी अपभ्रंश के ही क्षेत्रीय रूप से हुआ है इसका क्षेत्र रीवा सतना शहडोल मेहर और उसके आस पास है
छत्तीसगढ़ी का उदभव अर्धमागधी अपभ्रंश के दक्षिणी रूप से हुआ है इसका क्षेत्र सरगुजा कोरबा बिलासपुर रायगढ़ खैरागढ़ रायपुर दुर्गा नंदगांव कांकेर आदि हैं
राजस्थानी हिंदी की 4 बोलियां हैं- पश्चिमी राजस्थानी मारवाड़ी पूर्वी राजस्थानी जयपुरी उत्तरी राजस्थानी मेवाती दक्षिणी राजस्थानी मालवीय
पश्चिमी राजस्थानी मारवाड़ी का उदभव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है इसका क्षेत्र जोधपुर मेवाड़ सिरोही जैसलमेर बीकानेर हाथी हैं
पूर्वी राजस्थानी जयपुर या ढूंढाड़ी इसका चित्र जयपुर अजमेर किशनगढ़ आदि हैं
उत्तरी राजस्थानी मेवाती यह अलवर गुड़गांव भरतपुर तथा उसके आसपास बोली जाती हैं इसकी एक मिश्रित बोली अहीर वाटी है जो गुड़गांव दिल्ली तथा करनाल के पश्चिमी क्षेत्र में बोली जाती हैं
दक्षिणी राजस्थानी मालवीय यह इंदौर उज्जैन देवास रतलाम भोपाल होशंगाबाद तथा उसके आसपास बोली जाती हैं
पश्चिमी हिंदी की 5 बोलियां हैं- खड़ी बोली या कौरवी ब्रजभाषा हरियाणवी बुंदेली और कन्नौजी
खड़ी बोली और कौरवी का उदभव शौरसेनी अपभ्रंश के उत्तरी रुप से हुआ है इसका क्षेत्र देहरादून का मैदानी भाग सहारनपुर मुजफ्फरनगर मेरठ दिल्ली का कुछ भाग बिजनौर रामपुर मुरादाबाद
ब्रजभाषा का विकास सर शौरसेनी अपभ्रंश के मध्यवर्ती रूप से हुआ है यह आगरा मथुरा अलीगढ़ मैनपुरी एटा बदायूं बरेली तथा आसपास मैं बोली जाती हैं
हरियाणवी का विकास उत्तरी शौरसेनी अपभ्रंश के पश्चिमी रूप से हुआ है इसका क्षेत्र हरियाणा तथा दिल्ली का देहाती भाग है
बुंदेली का विकास शौरसेनी में अपभ्रंश से हुआ है इसका क्षेत्र झांसी जालौन हमीरपुर ग्वालियर ओरछा सागर नरसिंहपुर सिवनी होशंगाबाद तथा आसपास का क्षेत्र है
कन्नौजी का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है इसका क्षेत्र इटावा फर्रुखाबाद शाहजहांपुर कानपुर हरदोई पीलीभीत है पूर्वी हिंदी की 3 बोलियां हैं- अवधि बघेली और छत्तीसगढ़ी
अवधि का उदभव अर्धमागधी अपभ्रंश से हुआ है इसका क्षेत्र लखनऊ इलाहाबाद फतेहपुर मिर्जापुर उन्नाव रायबरेली सीतापुर खीरी फैजाबाद गोंडा बस्ती बहराइच बाराबंकी सुल्तानपुर प्रतापगढ़ आदि हैं
बघेली का उदभव अर्धमागधी अपभ्रंश के ही क्षेत्रीय रूप से हुआ है इसका क्षेत्र रीवा सतना शहडोल मेहर और उसके आस पास है
छत्तीसगढ़ी का उदभव अर्धमागधी अपभ्रंश के दक्षिणी रूप से हुआ है इसका क्षेत्र सरगुजा कोरबा बिलासपुर रायगढ़ खैरागढ़ रायपुर दुर्गा नंदगांव कांकेर आदि हैं
राजस्थानी हिंदी की 4 बोलियां हैं- पश्चिमी राजस्थानी मारवाड़ी पूर्वी राजस्थानी जयपुरी उत्तरी राजस्थानी मेवाती दक्षिणी राजस्थानी मालवीय
पश्चिमी राजस्थानी मारवाड़ी का उदभव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है इसका क्षेत्र जोधपुर मेवाड़ सिरोही जैसलमेर बीकानेर हाथी हैं
पूर्वी राजस्थानी जयपुर या ढूंढाड़ी इसका चित्र जयपुर अजमेर किशनगढ़ आदि हैं
उत्तरी राजस्थानी मेवाती यह अलवर गुड़गांव भरतपुर तथा उसके आसपास बोली जाती हैं इसकी एक मिश्रित बोली अहीर वाटी है जो गुड़गांव दिल्ली तथा करनाल के पश्चिमी क्षेत्र में बोली जाती हैं
दक्षिणी राजस्थानी मालवीय यह इंदौर उज्जैन देवास रतलाम भोपाल होशंगाबाद तथा उसके आसपास बोली जाती हैं
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